History of Taj mehal || mumtaj death story

Taj mehal 
ताज महल को मुगल शासक साहज शाहजहाँ ने अपनी तिसरी बेगम मुमताज के गुजर जाने के बाद उनकी याद मे बनबाया था! 
ताज महल कहा पर है 
ताज महल भारत के उत्तर प्रदेश के आगरा सहर मे यमुना नदी के किनारे बनाया गया है! 
ताज महल को बनने में कितना समय लगा 
ताज महल का निमार्ण 1631 मे सूरु हुआ थ और 1653 मे पुरा हुआ करिब 22 साल लगे थे! ताज महल को बनाने के लिए 20 हजार मजदुर लगे थे।?ताज महल के निर्माण के लिए शाहजहां ने अफगानी आर्किटेक्ट उस्ताद अहमद लाहौरी को लगाया था। ताज महल को बनाने में लगभग 32 करोड़ रूपये लगे थे अगर ताज महल अब बनबाया जाएगा तो इसमें 700 करोड के आस पास का खरचा आएगा! 
Mumtaj death story
1 दिन शाहजहां मीरा बाजार में घूम रहे थे तभी उनकी नजर वहां खड़ी एक लड़की पर पड़ी वह कुछ सिल्क का सामान बेच रही थी मुमताज की खूबसूरती शाहजहां के दिमाग में इस तरह बस गई कि वह उसका पीछा करने लगे कुछ समय बाद शाहजहां को पता चला कि जिस लड़की का वह पीछा कर रहे हैं उसका नाम अर्जुमंद बानो बेगम है जो कि उनकी मां और नूरजहां की रिश्तेदार है  शाहजहां का प्यार इस कदर परवान चढ़ चुका था कि वह खुद को रोक नहीं पाए और उन्होंने तुरंत अपने पिता राजा जहांगीर के सामने अर्जुमंद से शादी करने की ख्वाहिश जाहिर की बेटे के प्यार को जांजगीर नजरअंदाज नहीं कर पाए और उन्होंने इस शादी के लिए हां कह दिया हालांकि मुमताज शाहजहां की चौथी पत्नी थी लेकिन कहा जाता है शाहजहां का उनके साथ एक खास लगाब था शाहजहां और मुमताज के 13 बच्चे हो चुके थे और मुमताज अब 14 बे बच्चे को जन्म देने वाली थी 13 बच्चों को जन्म देने के कारण मुमताज सारिक रूप से काफी कमजोर हो चुकी थी जैसे प्रसव नजदीक आया उसी दौरान ढक्कन में खान जहां लोधी के विद्रोह को काबू करने के लिए शाहजहां को बुरहानपुर जाना था उस समय मुमताज गर्भवती थी शाहजहां मुमताज से बेहद प्यार करता था वह मुमताज को छोड़कर दूर नहीं जाना चाहते थे मुमताज गर्भवती होने के बावजूद शाहजहां उसे आगरा से 787 किलोमीटर दूर बुरहानपुर ले गया यहां सैनिक अभियान चल रहा था लंबी यात्रा की वजह से मुमताज बुरी तरह थक गई थी और इसका असर उसके गर्व पर भी पड़ा मुमताज को अब दिक्कत होने शुरू होने लगी उसे मुमताज की खराब हालत की सूचना मिली इस दौरान वह मुमताज के पास नहीं गया उसने दाइऔ को भेजने के निर्देश दिए 16 जून 1631 की रात मुमताज को प्रसव पीड़ा बढ़ गई मुमताज मंगलवार की सुबह से बुधवार की आधी रात तक दर्द से बुरी तरह परेशान रही शाही हकीम वजीर खान उसके पास मौजूद था वह पहले भी प्रसव के दौरान रह चुका था 30 घंटे के लंबे दर्द के बाद मुमताज ने आधी रात को एक बेटी गौहर आरा को जन्म दिया लेकिन मुमताज बेहाल थे बच्चे के जन्म के बाद मुमताज बुरी तरह कांपने लगी और उसकी पिंडलियां ठंडी पड़ने लगी दाइयां और हकीम मुमताज के शरीर से हो रहे अत्याधिक रक्त को नहीं रोक सके वह तड़प रही थ इधर शाहजहां ने अपने कमरे से कहीं संदेश बहा भेजें लेकिन कोई लौट कर नहीं आया और रात काफी हो चुकी थी आघी से ज्यादा का वक्त हो चुका था शाहजहां ने खुद हरम में जाने का फैसला किया तभी उसके पास संदेश आया कि वेगम ठीक है लेकिन काफी थकी हुई है बच्ची को जन्म देने के बाद मुमताज गहरी नींद में चली गई है उन्हें परेशान ना किया जाए इसी दौरान तड़प रही मुमताज ने अपनी बेटी जहांआरा को शाहजहां के पास बुलाने को भेजा शाहजहां सोने ही वाले थे कि उनकी बेटी जहांआरा वहां पहुंच गई जब शाहजहां हरम पहुंचे तो वहां उन्होंने हम ममताज को हकीमो से घिरा हुआ पाया मुमताज झटपटा रही थी वह मौत के करीब थी बादशाह की आवाज सुनकर मुमताज ने अपनी आंखें खोली मुमताज की आंखों में आंसू भरे हुए थे शाहजहां मुमताज के सिर के पास बैठ गए मुमताज ने आखरी वक्त पर शाहजहां से 2 वादे लिए पहला वादा शादी ना करने को लेकर था जबकि दूसरा वादा एक ऐसा मकबरा बनाने को था जो अनोखा हो इसके कुछ देर बाद सुबह से पहले मुमताज के प्राडं निकल गए जब रानी की मौत हुई तो बह अपने चालिसबे साल मे थी उनके 14 बच्चे थे जीनमे 8 लडके और 6 लडकियां थी मुमताज की देख भाल करने बाली सती उनबीस ने उनके अमृत शरीर को रुई के पाॅच कपड़ो मे लपेट दिया  इस्लामिक हिरासतो के बावजूद उसकी मौत पर महीलाए बुरी तरह रोकर शौक जताती रही मुमताज की मौत से बादशाह ही नही पुरा बुरहानपुर गंभीर हो गया था किले की दिबारे औरतो के रोने की आबाज से भर भरा उठी थी मुमताज के शव को ताप्ती नदी के किनारे जेन बाग मे अस्ताई रूप से दफन कर दिया गया मुमताज के मौत के 12 साल बाद शव को आगरा के निमाडा धिन ताज महल मे दफन कर दिया गया 17 जून 1631 को अपने चोदहबे बच्चे को जन्म देने के दोरान प्रशव पिडा से मुमताज की मौत हो गयी.

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